Friday, December 17, 2010

भाग्य पर विश्वास करता हूं, भाग्य में होगा तो लगेगा 50वां शतक: सचिन

सभी खेल प्रशंसक जिस शतक का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका के साथ गुरुवार से खेले जाने वाले पहले टेस्ट मैच में वह अपने 50वें टेस्ट शतक के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोच रहे हैं।

तेंडुलकर ने मैच की पूर्व संध्या पर बुधवार को कहा, "मैं भाग्य पर विश्वास करता हूं। अगर आपके भाग्य में लिखा है तो जरूर होगा। मैं इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोच रहा हूं। मैं अपनी तैयारी पर ध्यान दे रहा हूं।" तेंदुलकर के प्रशंसकों को उम्मीद है कि वह सेंचुरियन में सैंकड़ा लगाकर शतकों का अर्धशतक जरूर पूरा करेंगे।

सचिन ने कहा, "मेरे लिए यहां की परिस्थितियों से सामंजस्य बिठाना सबसे महत्वपूर्ण चीज है। तैयारियों के लिए लम्बा अभ्यास सत्र इसलिए चला ताकि हम यहां की परिस्थितियों में खुद को ढाल सकें। हमने कोच गैरी कर्स्टन की देखरेख में अच्छा अभ्यास किया है।"

तेंदुलकर ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में तेज और उछालयुक्त विकेट हमेशा चर्चा में रहता है। अगर आप जोहांसबर्ग में खेल रहे हैं तो आपको अत्यधिक ध्यानपूर्वक खेलना होगा। यह अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में हैं। ऑक्सीजन की कमी यहां एक महत्वपूर्ण समस्या है।

Saturday, December 4, 2010

और एक साथ जली दोनो की चिता

रायपुर॥ अस्पताल और पुलिस की लापररवाहियों की एक से एक मिसाल हैं लेकिन रायपुर के कटोरातालाब  में हुई इस घटना के कारण एसा अनोखा संयोग बना के पति-पत्नी की चिताए साथ-साथ जली।
अस्पताल से लाश लेते वक्त कमला और अंजु की लाशें आपस में बदल गई। इस दौरान अंजू के पति संजय यादव की मौत हो गई। वह अंजू को बचाते हुए जला था। उसे भी आंबेडकर अस्पताल की बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया था।
इस बीच महिला के दाह संस्कार के लिए ले जाया जा चुका था। शोकाकुल भीड़ उस समय सकते में आ गई, जब उन्हें पता चला कि जिसे वे अपने परिवार की सदस्य समझकर अंतिम संस्कार करने आए हैं वो दरअसल कोई और है।
ऐन मौके पर हकीकत सामने आने के बाद सबकी आंखें फटी रह गईं। बाद में पता चला कि आंबेडकर अस्पताल के चीरघर में लाश बदल गई है। हकीकत सामने आने के बाद शोकाकुल परिजन गुस्से से झल्ला गए। उन्होंने चीरघर के सामने अस्पताल व पुलिस प्रशासन को जमकर कोसा।
अस्पताल व पुलिस के जानकारों ने बताया कि दोनों महिलाओं की मौत जलने से हुई थी। इसी वजह से पूरी गड़बड़ी हुई। कटोरातालब निवासी अंजू यादव ने देर रात आंबेडकर अस्पताल की बर्न यूनिट में दम तोड़ा था।  
दूसरी युवती कमला बाई भी उसी यूनिट में भर्ती थी। उसकी मत गुरुवार को सुबह हुई थी। दोनों युवतियों के शव चीरघर में रखे गए थे। पहले अंजू के शव का पोस्टमार्टम किया गया। उसकी लाश परिजनों को सौंप दी गई।
दोपहर 12 बजे के बाद कमला का पोस्टमार्टम हुआ। उसका शव जब परिजनों को सौंपा गया, तब उन्हें लाश की लंबाई देखकर शंका हुई।
कमला का चेहरा बुरी तरह झुलसा नहीं था। इस वजह से उसके परिजन पहचान गए। उन्होंने चीरघर के डाक्टरों को बताया कि वह उनकी कमला नहीं है। मृतका के परिजनों से यह बात सुनते ही डाक्टर व पूरा स्टाफ सन्न रह गया।
उन्होंने आनन-फानन में पुलिस को सूचना दी। सिविल लाइंस पुलिस ने अपनी फोर्स कटोरातालाब भेजी। वहां पहुंचने के बाद पता चला कि लाश को अंतिम संस्कार के लिए श्मशानघाट ले जाया जा चुका है।
पुलिस के जवान भागते हुए श्मशानघाट पहुंचे। वहां अंतिम संस्कार के लिए चिता सजायी जा चुकी थी। केवल अग्नि देने का कार्य बाकी था। पुलिस वालों ने परिजनों को हकीकत बताकर अंतिम संस्कार रुकवाया और चिता पर सजी लाश कस्टडी में चीरघर लाई गई। वहां कमला का शव उसके परिजनों को सौंपा गया और अंजू की लाश उसके रिश्तेदारों को दी गई।
इस पूरी गड़बड़ी से अंजू के रिश्तेदार खासे नाराज हुए। उन्होंने काफी देर तक चीख-चिल्लाकर अपनी नाराजगी का इजहार किया। पुलिस ने बताया कि अंजू चार दिन पहले स्टोव फटने से जली थी। दूसरी युवती कमला रजक मनेंद्रगढ़ रहवासी थी। चूल्हे में भोजन बनाते समय वह जल गई थी।
बाद मे जब परिजनों को सही शव मिले तब संजय और अंजु के शव चीरघर से एक साथ घर ले जाए गए। नए सिरे से उनकी अर्थियां सजायी गईं और एक साथ उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।

तुलसी से मिला किसानों को आर्थिक वरदान

आजमगढ़॥ प्राचीनकाल से हिंदुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ी तुलसी आजकल उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के किसानों की आर्थिक दुर्दशा के इलाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। कई पौराणिक मान्यताओं के आधार के रूप में प्रतिष्ठापित और घरों के आंगन की शोभा बढ़ाने वाली तुलसी मौजूदा हालात में यूपी के पिछड़े जिले आजमगढ़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
 यहां के किसानों ने तुलसी की जैविक खेती करके इससे भरपूर लाभ कमाना शुरू कर दिया है। यहां पैदा हो रही तुलसी का अब विदेशों में भी निर्यात होने लगा है। सठियांव की चीनी मिल के रूप में जिले की एकमात्र औद्योगिक इकाई बंद हो जाने के बाद यहां के किसानों की आर्थिक दशा प्रतिदिन खराब होने लगी थी, लेकिन 1998 में डॉ. नरेंद्र सिंह और जापान से आए भारत मित्रा ने यहां तुलसी की जैविक खेती करने की मुहिम छेड़ी।

सिंह ने से बताया कि पहले तीन वर्षों तक यहां के खेतों को रासायनिक खादों के कुप्रभाव से मुक्त किया गया और फिर जैविक खेती में तुलसी के पौधों की बुआई का काम शुरू हुआ। नरेंद्र सिंह ने बताया कि 12 साल पहले जिले के कम्हेनपुर गांव से शुरू हुई तुलसी की जैविक खेती आज डेढ़ दर्जन गांवांे में ढाई सौ एकड़ से ज्यादा के इलाके में हो रही है और इससे यहां के किसानों को लगभग एक करोड़ रुपये सालाना की आमदनी हो रही है। इसे देखकर अब आसपास के गांवों में भी किसानों का तुलसी की खेती की तरफ रुझान बढ़ने लगा है।