Saturday, December 4, 2010

तुलसी से मिला किसानों को आर्थिक वरदान

आजमगढ़॥ प्राचीनकाल से हिंदुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ी तुलसी आजकल उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के किसानों की आर्थिक दुर्दशा के इलाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। कई पौराणिक मान्यताओं के आधार के रूप में प्रतिष्ठापित और घरों के आंगन की शोभा बढ़ाने वाली तुलसी मौजूदा हालात में यूपी के पिछड़े जिले आजमगढ़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
 यहां के किसानों ने तुलसी की जैविक खेती करके इससे भरपूर लाभ कमाना शुरू कर दिया है। यहां पैदा हो रही तुलसी का अब विदेशों में भी निर्यात होने लगा है। सठियांव की चीनी मिल के रूप में जिले की एकमात्र औद्योगिक इकाई बंद हो जाने के बाद यहां के किसानों की आर्थिक दशा प्रतिदिन खराब होने लगी थी, लेकिन 1998 में डॉ. नरेंद्र सिंह और जापान से आए भारत मित्रा ने यहां तुलसी की जैविक खेती करने की मुहिम छेड़ी।

सिंह ने से बताया कि पहले तीन वर्षों तक यहां के खेतों को रासायनिक खादों के कुप्रभाव से मुक्त किया गया और फिर जैविक खेती में तुलसी के पौधों की बुआई का काम शुरू हुआ। नरेंद्र सिंह ने बताया कि 12 साल पहले जिले के कम्हेनपुर गांव से शुरू हुई तुलसी की जैविक खेती आज डेढ़ दर्जन गांवांे में ढाई सौ एकड़ से ज्यादा के इलाके में हो रही है और इससे यहां के किसानों को लगभग एक करोड़ रुपये सालाना की आमदनी हो रही है। इसे देखकर अब आसपास के गांवों में भी किसानों का तुलसी की खेती की तरफ रुझान बढ़ने लगा है।

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